तलाश हूँ मैं

कायनात की कटोरी से एक बूँद छलकी
बूँद जो फ़लक़ के कान में फुसफुसाकर
आती हूँ अभी, ये गयी समझाकर
और मिल गयी वक़्त के समंदर में

फ़लक़ से चलती,
सागर में मिलती
लहरों में घुलती
साहिल पे ढलती
मैं उस नन्ही बूँद की तलाश हूँ
न सीपी की ख़्वाहिश लिए
न मोती की फ़रमाइश लिए

मैं एक आवाज़ हूँ
कभी बेबस बोल
कभी गाता साज़ हूँ

मंज़िल के दरवाजों पे
मैं राहों का आभास हूँ
हक़ीक़त की धरती पे
टूटा हुआ आकाश हूँ

मैं बस एक तलाश हूँ

तलाश जो,
नज़्मों की तह में छुपी कहानी में है
सूखे सहरा में मिलते पानी में हैं
तड़पती साँसों की रवानी में है
मर मिटने वाली जवानी में हैं

बैसाखी के जूते खोजता
गुम कानों के कान मरोड़ता
बेज़ुबान लब जो कह न सके
अंधी आँख से उजले आँसू बह न सके
एक पर कटे पाखी की परवाज़ हूँ
हाँ, मैं इक तलाश हूँ ।

सब पा लेने के ख़ालीपन में
बेजान चीजों के भरे मन में
अचानक उठता वो सवाल हूँ
मैं सुकूँ में उतरता वबाल हूँ

भागते शहर के बीचों-बीच
एक ठहरा हुआ पलाश हूँ,
सब हासिल पे एक काश हूँ,
ज़हीनीयत का फ़राश कहीं
कहीं आँखों में बदमाश हूँ

इक बूँद कभी जो गिरी फ़लक़ से
उसकी मिट्टी में मिलने की आस हूँ
मैं बस एक तलाश हूँ
मैं बस एक तलाश हूँ ।

#explorer

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