मन की पगडंडी, सपनो से आगे
बावरा मन ये, बेसुध सा भागे
Lyrics
ओ री चंदा
ओ री चंदा ओ री लाड़ो तू चुप है तो, तू गुम है तो गुम है ये आसमां, गुम है मेरा जहां हां…आँ.. आँ..आँ.. ओ री चंदा.. {देख चंदा मामा…
सन्नाटों में शोर है
आदमी की क़ैद में यहाँ मौत है चलती हुई जिस्म की बोटी-बोटी है रेत में मिलती हुई तुम कहो, कैसे तुम्हें यूँ घर में बैठे ग़म हुआ कौन सा बेटा…
बड़ी रात है ओ हमसफ़र
कुछ चाँदनी में सिमटी हुई कुछ रोशनी में लिपटी हुई छू के मुझे ले चल कहीं ख़्वाबों के पीछे मिल कहीं बड़ी रात है ओ हमसफ़र दो पल तू दे…
धत्त पगली ज़िन्दगी
क्या अजब सवाल करती है ये जीना बेहाल करती है मंज़िल से इक क़दम पहले ये पक्का बवाल करती है ऐ ज़िन्दगी, धत्त पगली ज़िन्दगी… गुड़ की डली में लिपटी…