आइने में अपना शहर देखते हैं

आइने में अपना शहर देखते हैं- ग़ज़ल

आइने में अपना शहर देखते हैं हम उसी की आँखों में घर देखते हैं यूँ गया दूर वो, नज़र भर न देखा अब आती-जाती हर नज़र देखते हैं कितने नादाँ…
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