आईना

आईना

जो बात तमाम सफ़र बताई न गयी वो बात आईने से फिर छुपाई न गयी तेरी ख़ुशबू भी बिखरी रही, आईने पे नक्श उकेरे तमाम पर उठाई न गयी ऐसे…
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