इससे बढ़कर मैं और क्या करता

इससे बढ़कर मैं और क्या करता- ग़ज़ल

इससे बढ़कर मैं और क्या करता नाम उसके मिरी रज़ा करता उससे कैसे भला गिला कर दूँ मरके भी दिल जिससे वफ़ा करता बह गयी आँख से मुहब्बत सब कब…
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