7 Jul 2020जिस मानिंद ये ग़ज़लजिस मानिंद ये ग़ज़ल, पढ़ रहा हूँ मैं अंदर अंदर और गहरा बढ़ रहा हूँ मैं तुझसे जीत भी गया तो हार जाऊँगा तेरी शक़्ल में ख़ुद से झगड़ रहा…