धत्त पगली ज़िन्दगी

धत्त पगली ज़िन्दगी

क्या अजब सवाल करती है ये जीना बेहाल करती है मंज़िल से इक क़दम पहले ये पक्का बवाल करती है ऐ ज़िन्दगी, धत्त पगली ज़िन्दगी… गुड़ की डली में लिपटी…
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