पहले वतन के बेढके

पहले वतन के बेढके

पहले वतन के बेढके बदन को लुकना चाहिए जैसे भी हो ये पीप बहता घाव छुपना चाहिए बह चुका ख़ून बहुत, इस अवाम-ए-हिन्द का जैसे भी मुमकिन हो बहता ख़ून…
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