8 Jul 2020बड़ी बेआबरूबड़ी बेआबरू सी है ये ज़िन्दगी, कि जीने का सलीका भी नहीं जानती रहती है ख़ुद क़िताबों में क़ैद हमें अपना एक सफ़हा तक नहीं मानती अब कहाँ वो नीम…