7 Jul 2020बेबसी, मजबूरीअपनी ये मजबूरी मैं तुम्हें बताऊँ कैसे फ़िज़ा में ज़ख़्म-ए-दिल दिखाऊँ कैसे घड़ी घड़ी सिसकियाँ, आह ! बेहिसाब और अपना हाल-ए-दिल सुनाऊँ कैसे इस बेबसी में जीना मुमकिन नहीं मगर…