मुँह मीठा

मुँह मीठा

दीनू ने जो भी बोया जो भी नुकाया सब एक गठरी में बाँध कंधे पे रख लाया है भरी दुपहरी बाँधी है मूसल बूँदों का है हिसाब दो आने को…
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