वक़्त का थान

वक़्त का थान

ये कैसा थान है वक़्त का लम्हा लम्हा खोलूँ तो उधड़े उधड़े से रेशे निकल रहे हैं हर-पल “पल” फिसल रहे हैं इस थान से जो काटे थे लिबास अब…
Menu