शाम से दिल में बेकरारी है

शाम से दिल में बेकरारी है- ग़ज़ल

शाम से दिल में बेकरारी है बरसों सी कटती रात भारी है इक उसी पल का मुंतज़िर होके लम्हा लम्हा उम्र गुज़ारी है दर्द जिसने दिया दवा भी है इश्क़…
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