सन्नाटों में शोर है

सन्नाटों में शोर है

आदमी की क़ैद में यहाँ मौत है चलती हुई जिस्म की बोटी-बोटी है रेत में मिलती हुई तुम कहो, कैसे तुम्हें यूँ घर में बैठे ग़म हुआ कौन सा बेटा…
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