8 Jul 2020ग़लत नज़्म – आरुषिकुछ अलग करने की चाह में तुमने इक बेमिसाल नज़्म रची थी न लय-बहर न रदीफ़-क़ाफ़िया लफ़्ज़ों का अभाव इब्तिदा से अंजाम तक पूरी बेतरतीब यहाँ तक कि, उन्वान भी…