Noor Afza

Noor Afza

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश: रुख़सत बर्फ़ की काट सी रगों में बेहिस जमती है कोई कतरा ख़ून का कुछ कहता नहीं कोई हर्फ़ ना, ना चकता स्याही का…
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